India has struggled to find a suitable No.4 ever since Yuvraj Singh retired from cricket from | The Hindu https://ift.tt/gQTYZn4
अरानी बसु, नई दिल्ली चर्चा है कि भारत और बांग्लादेश के बीच 22 नवंबर से कोलकाता के ईडन गार्डंस पर होने वाला टेस्ट मैच डे-नाइट हो सकता है। यह भारतीय टीम का पहला हो सकता है। लेकिन इससे पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सामने कुछ समस्याएं हैं। सबसे बड़ी चिंता ऐसी गुलाबी गेंदों का इंतजाम करना है जो भारतीय परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन कर सकें। वर्ष 2016 में सौरभ गांगुली की अध्यक्षता वाली बोर्ड की तकनीकी समिति ने दलीप ट्रोफी को गुलाबी गेंद से करवाने का फैसला किया था। यह एक पायलट प्रॉजेक्ट था। हालांकि इस प्रयोग के नतीजे उत्साहित करने वाले नहीं थे। बोर्ड ने एसजी बॉल से शुरुआत की और आखिर में ड्यूक कंपनी की गेंद का भी इस्तेमाल किया। सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि 20 ओवर बाद गेंद अपना रंग खो देती थी और सॉफ्ट होनी शुरू हो जाती थी। बीसीसीआई के एक अधिकारी ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'भारतीय मैदान इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया की तरह नरम नहीं हैं। ये रफ हैं और ऐसे में गेंद 20-30 ओवर बाद अपनी शेप और रंग खो देती है।' इसे भी पढ़ें- एसजी को पिछले साल अपनी लाल गेंद की क्वॉलिटी को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। कंपनी को इस साल दलीप ट्रोफी के लिए बेहतर क्वॉलिटी की पिंक बॉल उपलब्ध करवाने को कहा गया था। हालांकि बीसीसीआई ने अपने फैसले पर यू-टर्न लेते हुए दलीप ट्रोफी को दिन में करवाने का फैसला किया और इसे परंपरागत लाल गेंद से खेला गया।आधिकारिक रूप से कहा गया कि प्रसारणकर्ता कंपनी शाम को खेल के प्रसारण को लेकर रूचि नहीं दिखा रही थी लेकिन सूत्रों का कहना है कि सितंबर के शुरुआत के गीले मैदान भी इसकी पीछे की एक वजह थी। फाइनल गुलाबी गेंद से खेला जाना था लेकिन बोर्ड ने इसके खिलाफ फैसला किया। बीसीसीआई के जनरल मैनेजर (क्रिकेट ऑपरेशंस) सबा करीम ने टाइम्स ऑफ इंडिया के सवालों का जवाब नहीं दिया। इसे भी पढ़ें- बोर्ड एसजी गेंदों की क्वॉलिटी को लेकर आश्वस्त नहीं है। ऐसे में अगर डे-नाइट टेस्ट मैच करवाने पर सहमति बन भी जाती है, तो बोर्ड के सामने दो विकल्प होंगे- गुलाबी गेंद की गुणवत्ता में सुधार या फिर ड्यूक अथवा कूकाबुरा गेंदों का इस्तेमाल। इसके लिए आपके पास पर्याप्त स्टॉक में गेंद होनी चाहिए। अधिकारी ने कहा, 'बोर्ड को प्रैक्टिस और मैच के लिए कम से कम 24 गेंदों की जरूरत होगी। इसके साथ ही मैच के दौरान अगर गेंद बदलने की जरूरत हो तो उसके लिए भी अलग से गेंदों की जरूरत होगी।'
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