India has struggled to find a suitable No.4 ever since Yuvraj Singh retired from cricket from | The Hindu https://ift.tt/gQTYZn4
अरानी बसु, नई दिल्ली विराट कोहली की कप्तानी से पहले के फास्ट बोलिंग अटैक की चर्चा शायद ही कहीं होती थी। लेकिन आज टीम इंडिया का फास्ट बोलिंग अटैक पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है। की अगुआई वाले इस टेस्ट पेस अटैक में अब इशांत के अलावा, मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह, उमेश यादव, भुवनेश्वर कुमार के रूप टीम इंडिया के पास विकेट टेकिंग गेंदबाजों का अच्छा पूल तैयार है। अनिल कुंबले की कप्तानी में टीम इंडिया में एंट्री करने वाले इशांत की छवि सालों तक ऐसी रही कि वह सिर्फ वर्कहोर्स यानी स्पिन अटैक को राहत देने वाले खिलाड़ी हैं। लेकिन अब इशांत विकेटटेकिंग बोलर हैं, जिनकी अगुआई में टीम के बाकी पेसर्स खेलते हैं। कपिल के बाद दूसरे फास्ट बोलर बनेंगे इशांत कम ही लोग जानते हैं कि 31 वर्षीय इशांत को इंटरनैशनल क्रिकेट में 12 साल हो चुके हैं और वह अब तक 96 टेस्ट खेल चुके हैं यानी यह तेज गेंदबाज अपने 100वें टेस्ट के बहुत करीब है। कपिल देव के बाद 100 टेस्ट खेलने वाले वह दूसरे भारतीय तेज गेंदबाज होंगे। फिलहाल इशांत अपने 300 टेस्ट विकेट के आंकड़े से सिर्फ 8 विकेट दूर हैं। इन दिनों टीम इंडिया से ब्रेक पर इशांत अपनी घरेलू टीम दिल्ली के लिए रणजी ट्रोफी खेल रहे हैं। इस सीजन दिल्ली की पहली जीत में अहम भूमिका निभाने वाले इस तेज गेंदबाज ने अपने खेल पर खुलकर चर्चा की। पहले दबाव था अब क्रिकेट को इंजॉय करता हूं: इशांत इशांत कहते हैं, 'इन दिनों मैं अपनी क्रिकेट को खूब इंजॉय कर रहा हूं। अब खेलने में मजा आता है। हंसता हूं, खेलता हूं।' कुल मिलाकर इशांत अब मानसिक रूप से एक अच्छे जोन में हैं। उन्होंने बताया, 'करियर की शुरुआत में मैंने अपने ऊपर ज्यादा दबाव डाल लिया था, अब मैं ऐसा नहीं करता हूं।' 'भारतीय फास्ट बोलरों में बेहतर संवाद इसलिए बोलिंग अटैक कारगर' भारतीय पेस बोलिंग अटैक के दुनिया भर में बन रहे दबदबे पर इस तेज गेंदबाज ने कहा, 'हमें इस पर गर्व है कि तेज गेंदबाजों का दबदबा बन रहा है। जब शमी और उमेश आए तब हमारा बोलिंग अटैक अनुभवहीन था तो हम क्रमबद्ध विकेट नहीं लेते थे। तब हम सहायक स्थितियों में भी विकेट लेने में संघर्ष करते थे। लेकिन जब हम एकसाथ खेलने लगे तो हमने एक-दूसरे की मदद करनी शुरू की। हम अपना-अपना अनुभव एक दूसरे से बांटते हैं। पिच कैसा व्यवहार कर रही है, परिस्थितियां कैसी हैं? अब हमारे बीच जो संवाद और जुड़ाव है वह बहुत शानदार है। पहले जब हम नए थे तब एक-दूसरे से इतनी बातचीत नहीं करते थे लेकिन अब संवाद का स्तर बहुत अच्छा है।' 'अब समझ चुका हूं अपना खेल'विराट की कप्तानी में खेलने से पहले इशांत की छवि एक वर्कहोर्स बोलर की थी, जो सिर्फ टीम इंडिया के स्पिन अटैक को रेस्ट देने के इरादे से ही बोलिंग पर उतरता था। इशांत कहते हैं तब सीनियर ने यही जॉब दिया था कि मुझे दिनभर में 20 ओवर फेंकने हैं और इस दौरान मैं 60 रन तक खर्च कर सकता हूं। इसलिए मुझे बैक ऑफ द लेंथ बोलिंग करने को कहा जाता था और बल्लेबाज सेट होने तक बॉल को छोड़ता रहता था। लेकिन अब मैं समझ गया हूं कि आपका एक ही काम होता है कि आप बल्लेबाज को आउट करें, जब भी संभव हो तब करें। अब में प्रफेशनल हूं और अपना काम बखूभी समझता हूं। जेसन गिलेस्पी को बोलिंग में सुधार का श्रेय इशांत अपनी तेज गेंदबाजी में सुधार का श्रेय पूर्व ऑस्ट्रेलियन तेज गेंदबाज जेसन गिलेस्पी को देते हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे अपनी समस्याओं का हल गिलेस्पी के पास तब मिला, जब मैं 2018 में ससेक्स के लिए काउंटी खेल रहा था। जैक (जहीर खान) ने हमें कई सॉल्यूशन दिए। कई लोगों ने मुझे बताया कि मुझे अपनी फुल लेंथ की गेंदों में पेस बढ़ाने की जरूरत है। लेकिन कोई यह नहीं बताता था कि यह बढ़ानी कैसे है? जब मैं काउंटी खेलने गया तब गिलेस्पी ने मुझे इसका हल बताया।' सख्ती से खेलने का विराट का रवैया भी मददगार गिलेस्पी की मदद के अलावा इशांत विराट की कप्तानी को भी श्रेय देते हैं। वह कहते हैं कि विराट का वह रवैया कि टीम इंडिया सख्ती से विरोधी टीमों के खिलाफ खेले यह भी मददगार है। इसके अलावा वह खुद के अनुभवी होने को भी श्रेय देते हैं। वह कहते हैं कि धोनी के टाइम में वह इतने अनुभवी नहीं थे लेकिन जब विराट कप्तान बने तब तक हम अनुभवी हो चुके थे और अपने काम को अंजाम देने का ढंग बखूबी सीख चुके थे।
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